आम के पौधे में पत्तियों के झुंड बन रहे हैं? सही रहते करें प्रबंधन, नहीं तो घट जाएगा उत्पादन
Dr SK Singh | Feb 28, 2025, 13:38 IST
इस बीमारी से आम के पौधों की वृद्धि रुक जाती है और अगर समय से ध्यान न दिया गया तो आगे चल कर उत्पादन पर भी असर पड़ता है।
आम भारत की प्रमुख फसल है, लेकिन इसकी सफल खेती में कई रोग और विकार रुकावट डाल सकते हैं। इनमें से एक गंभीर समस्या है आम का मालफॉर्मेशन (Malformation), जो विशेष रूप से फ्यूज़ेरियम मंगीफेराई (Fusarium mangiferae) नामक फफूंद के कारण होता है। यह रोग मुख्य रूप से उत्तर-पश्चिमी भारत में व्यापक रूप से पाया जाता है और सबसे पहले बिहार के दरभंगा जिले में पहचान की गई थी, लेकिन धीरे-धीर ये बीमारी कई राज्यों में आम की फ़सल पर देखी जा रही है। इस बीमारी का समय रहते नियंत्रण करना चाहिए। यह विकार दो प्रकार का होता है: आम
- वानस्पतिक मालफॉर्मेशन (Vegetative Malformation)
- पुष्पीय मालफॉर्मेशन (Floral Malformation)
वानस्पतिक मालफॉर्मेशन के लक्षण
- पत्तियों के छोटे झुंड: के पौधों में सामान्य पत्तियों की जगह छोटी पत्तियों के गुच्छे बनने लगते हैं, जिससे पौधे का विकास रुक जाता है।
- नवजात पौधों में अधिक प्रकोप: यह समस्या खासकर नवोदित पौधों में अधिक देखने को मिलती है और उनके विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करती है।
- अस्वाभाविक वृद्धि: प्रभावित शाखाएँ मोटे गुच्छों में बदल जाती हैं, जिससे पेड़ की संरचना बिगड़ जाती है।
- फलन पर असर: अधिक संक्रमण से फूल और फल बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है, जिससे उत्पादन में कमी आ सकती है।
रोग के अनुकूल परिस्थितियाँ
- तापमान: 26 ± 2°C तापमान पर यह रोग तेजी से फैलता है। अत्यधिक ठंड या गर्मी में इसका प्रभाव कम हो जाता है।
- नमी: 65% या उससे अधिक आर्द्रता इस रोग के प्रसार के लिए अनुकूल मानी जाती है।
- नवजात वृक्षों का अधिक खतरा: नवोदित पौधों में तेजी से विकास हो रहा होता है, जिससे वे इस रोग के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं।
- संक्रमित पौध सामग्री का उपयोग: संक्रमित पौधों से कलम या नए पौधे बनाने पर रोग फैलने की संभावना बढ़ जाती है।
वानस्पतिक मालफॉर्मेशन का प्रबंधन
- संक्रमित टहनियों को हटाना: प्रभावित टहनियों को 15-20 सेमी नीचे से काटकर हटाएं और नष्ट कर दें।
- रोगमुक्त पौध सामग्री का उपयोग: नए पौधे लगाते समय रोगमुक्त नर्सरी पौधों का ही चयन करें।
- फफूंदनाशक का छिड़काव: कार्बेन्डाज़िम 50% WP @ 2 ग्राम/लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
- प्लैनोफिक्स® का छिड़काव: अक्टूबर में प्लैनोफिक्स® @ 1 मिली/3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
- कोबाल्ट सल्फेट का छिड़काव: पुष्प विकृति को कम करने के लिए फूल निकलने से पहले इसका छिड़काव करें।
- संक्रमित कलियों को हटाना: आक्रांत कलियों को हाथ से तोड़कर नष्ट कर दें।
- जैविक नियंत्रण: ट्राइकोडर्मा विरिडे जैसे जैविक एजेंट्स का उपयोग करें।
- पोषण संतुलन बनाए रखना: संतुलित मात्रा में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश का उपयोग करें।