By Gaon Connection
चार दशकों के अध्ययन ने बताया कि गंगोत्री घाटी का जल प्रवाह अब पहले जैसा नहीं रहा। बर्फ़ और ग्लेशियर पर निर्भरता घट रही है, बारिश पर बढ़ रही है। यह बदलाव खेती, जलविद्युत और गंगा की धारा – तीनों के लिए बड़ी चुनौती है।
चार दशकों के अध्ययन ने बताया कि गंगोत्री घाटी का जल प्रवाह अब पहले जैसा नहीं रहा। बर्फ़ और ग्लेशियर पर निर्भरता घट रही है, बारिश पर बढ़ रही है। यह बदलाव खेती, जलविद्युत और गंगा की धारा – तीनों के लिए बड़ी चुनौती है।
By Divendra Singh
अमेरिका द्वारा 25% टैरिफ बढ़ाए जाने से भारत का सीफूड और कृषि निर्यात गहरे संकट में है। जानिए कैसे हजारों किसानों, मछुआरों और निर्यातकों पर इसका असर पड़ेगा और सरकार क्या कदम उठा रही है।
अमेरिका द्वारा 25% टैरिफ बढ़ाए जाने से भारत का सीफूड और कृषि निर्यात गहरे संकट में है। जानिए कैसे हजारों किसानों, मछुआरों और निर्यातकों पर इसका असर पड़ेगा और सरकार क्या कदम उठा रही है।
By Seema Javed
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने जलवायु परिवर्तन को रोकने को केवल नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि कानूनी कर्तव्य करार दिया है। अब दुनियाभर की सरकारें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती और जीवाश्म ईंधनों से दूरी बनाए बिना बच नहीं सकेंगी, क्योंकि जलवायु संकट से निपटना अब मानवाधिकार और न्याय का सवाल बन गया है।
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) ने जलवायु परिवर्तन को रोकने को केवल नैतिक जिम्मेदारी नहीं, बल्कि कानूनी कर्तव्य करार दिया है। अब दुनियाभर की सरकारें ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती और जीवाश्म ईंधनों से दूरी बनाए बिना बच नहीं सकेंगी, क्योंकि जलवायु संकट से निपटना अब मानवाधिकार और न्याय का सवाल बन गया है।
By Seema Javed
IRENA की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में शुरू की गई 91% नई रिन्यूएबल ऊर्जा परियोजनाएं किसी भी नई कोयला या गैस परियोजना से सस्ती थीं। तकनीकी प्रगति, प्रतिस्पर्धी बाजार और बैटरी जैसी तकनीकों ने बिजली उत्पादन की लागत को ऐतिहासिक रूप से गिरा दिया है, लेकिन ग्रिड से जुड़ाव, नीति समर्थन और वित्तीय व्यवस्था जैसी चुनौतियाँ खासकर विकासशील देशों के सामने अब भी एक बड़ी दीवार हैं।
IRENA की नई रिपोर्ट के मुताबिक, 2024 में शुरू की गई 91% नई रिन्यूएबल ऊर्जा परियोजनाएं किसी भी नई कोयला या गैस परियोजना से सस्ती थीं। तकनीकी प्रगति, प्रतिस्पर्धी बाजार और बैटरी जैसी तकनीकों ने बिजली उत्पादन की लागत को ऐतिहासिक रूप से गिरा दिया है, लेकिन ग्रिड से जुड़ाव, नीति समर्थन और वित्तीय व्यवस्था जैसी चुनौतियाँ खासकर विकासशील देशों के सामने अब भी एक बड़ी दीवार हैं।
By Seema Javed
आपका पसंदीदा खेल क्रिकेट जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है। नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ‘हिट फॉर सिक्स’ बताती है कि 2025 के IPL जैसे टूर्नामेंटों में हीटवेव और उमस ने खिलाड़ियों की सेहत पर गंभीर असर डाला। मुंबई, दिल्ली, तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में बढ़ते "खतरनाक गर्मी" वाले दिनों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट खेल संगठनों को सचेत करती है-जलवायु संकट अब खेल मैदान तक पहुंच गया है।
आपका पसंदीदा खेल क्रिकेट जलवायु परिवर्तन की मार झेल रहा है। नई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट ‘हिट फॉर सिक्स’ बताती है कि 2025 के IPL जैसे टूर्नामेंटों में हीटवेव और उमस ने खिलाड़ियों की सेहत पर गंभीर असर डाला। मुंबई, दिल्ली, तिरुवनंतपुरम जैसे शहरों में बढ़ते "खतरनाक गर्मी" वाले दिनों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। रिपोर्ट खेल संगठनों को सचेत करती है-जलवायु संकट अब खेल मैदान तक पहुंच गया है।
By Seema Javed
भारत ने 2030 से पांच साल पहले ही अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% अक्षय स्रोतों से हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और नीति-निर्माण की सफलता को दर्शाती है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों पर बढ़ते निवेश, योजनाओं में जनभागीदारी और तेज़ी से बदलते ऊर्जा परिदृश्य ने भारत को वैश्विक मंच पर एक अग्रणी भूमिका में ला खड़ा किया है।
भारत ने 2030 से पांच साल पहले ही अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% अक्षय स्रोतों से हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और नीति-निर्माण की सफलता को दर्शाती है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों पर बढ़ते निवेश, योजनाओं में जनभागीदारी और तेज़ी से बदलते ऊर्जा परिदृश्य ने भारत को वैश्विक मंच पर एक अग्रणी भूमिका में ला खड़ा किया है।
By Dr SB Misra
मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध और अमेरिका की सीधी सैन्य कार्रवाई ने तीसरे विश्व युद्ध की आहट को तेज़ कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियाँ शांति की बजाय टकराव को हवा देती नज़र आ रही हैं — न तो नाटो देशों से परामर्श और न ही संयुक्त राष्ट्र की अनुमति। युद्धविराम के प्रयासों में विफल ट्रंप अब एटॉमिक ठिकानों पर बमबारी जैसे निर्णय लेकर वैश्विक अस्थिरता को और बढ़ा रहे हैं।
मध्य पूर्व में इज़राइल और ईरान के बीच बढ़ते युद्ध और अमेरिका की सीधी सैन्य कार्रवाई ने तीसरे विश्व युद्ध की आहट को तेज़ कर दिया है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नीतियाँ शांति की बजाय टकराव को हवा देती नज़र आ रही हैं — न तो नाटो देशों से परामर्श और न ही संयुक्त राष्ट्र की अनुमति। युद्धविराम के प्रयासों में विफल ट्रंप अब एटॉमिक ठिकानों पर बमबारी जैसे निर्णय लेकर वैश्विक अस्थिरता को और बढ़ा रहे हैं।
By Seema Javed
2024 एशिया के लिए जलवायु संकट की भयावह चेतावनी लेकर आया। वैश्विक तापमान ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़े, और एशिया दुनिया की तुलना में लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है। WMO की रिपोर्ट बताती है कि कैसे समुद्री हीटवेव, पिघलते ग्लेशियर, और बार-बार आने वाली आपदाएं एशिया को सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से अस्थिर बना रही हैं। यह संकट अब भविष्य की आशंका नहीं, आज की चुनौती है—क्या हम तैयार हैं?
2024 एशिया के लिए जलवायु संकट की भयावह चेतावनी लेकर आया। वैश्विक तापमान ने अब तक के सभी रिकॉर्ड तोड़े, और एशिया दुनिया की तुलना में लगभग दोगुनी गति से गर्म हो रहा है। WMO की रिपोर्ट बताती है कि कैसे समुद्री हीटवेव, पिघलते ग्लेशियर, और बार-बार आने वाली आपदाएं एशिया को सामाजिक, आर्थिक और पारिस्थितिक रूप से अस्थिर बना रही हैं। यह संकट अब भविष्य की आशंका नहीं, आज की चुनौती है—क्या हम तैयार हैं?
By Gaon Connection
हिमालय की बर्फ़ अब पहले जैसी नहीं रही—गाँवों में जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। चूल्हों का धुआँ, पराली की आग और ट्रैक्टरों से उठता काला धुआँ सिर्फ़ आसमान ही नहीं, हिमालय की बर्फ़ को भी काला कर रहा है। दो दशकों में बर्फ़ की सतह का तापमान 4°C तक बढ़ चुका है। इससे नदियाँ सूखने लगी हैं और गाँवों की जीवनरेखा—जल स्रोत—खतरे में हैं। अगर ब्लैक कार्बन पर अब भी लगाम नहीं लगी, तो पहाड़ों से लेकर मैदान तक, करोड़ों ग्रामीण परिवार पानी की भारी कमी से जूझ सकते हैं।
हिमालय की बर्फ़ अब पहले जैसी नहीं रही—गाँवों में जल संकट की आहट सुनाई देने लगी है। चूल्हों का धुआँ, पराली की आग और ट्रैक्टरों से उठता काला धुआँ सिर्फ़ आसमान ही नहीं, हिमालय की बर्फ़ को भी काला कर रहा है। दो दशकों में बर्फ़ की सतह का तापमान 4°C तक बढ़ चुका है। इससे नदियाँ सूखने लगी हैं और गाँवों की जीवनरेखा—जल स्रोत—खतरे में हैं। अगर ब्लैक कार्बन पर अब भी लगाम नहीं लगी, तो पहाड़ों से लेकर मैदान तक, करोड़ों ग्रामीण परिवार पानी की भारी कमी से जूझ सकते हैं।
By Seema Javed
गर्मी अब सिर्फ़ असहनीय नहीं रही, जानलेवा बन चुकी है—खासकर गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए। क्लाइमेट सेंट्रल की नई रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के चलते पिछले पाँच सालों में दुनिया भर में खतरनाक गर्मी वाले दिनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।
गर्मी अब सिर्फ़ असहनीय नहीं रही, जानलेवा बन चुकी है—खासकर गर्भवती महिलाओं और उनके अजन्मे बच्चों के लिए। क्लाइमेट सेंट्रल की नई रिपोर्ट बताती है कि जलवायु परिवर्तन के चलते पिछले पाँच सालों में दुनिया भर में खतरनाक गर्मी वाले दिनों की संख्या लगभग दोगुनी हो गई है।