By Manoj Bhawuk
छठ पूजा की सबसे बड़ी सुंदरता इसकी लोकभाषा और लोक-संगीत में है। छठी मइया को गीतों में संवाद पसंद है, संस्कृत के गूढ़ मंत्रों में नहीं। यही कारण है कि घर से घाट तक की यात्रा गीतों से भरी होती है
छठ पूजा की सबसे बड़ी सुंदरता इसकी लोकभाषा और लोक-संगीत में है। छठी मइया को गीतों में संवाद पसंद है, संस्कृत के गूढ़ मंत्रों में नहीं। यही कारण है कि घर से घाट तक की यात्रा गीतों से भरी होती है
By Dr SB Misra
नेहरू सरकार को एक जर्जर राष्ट्र मिला था, जबकि मोदी सरकार को अपेक्षाकृत स्थिर बुनियादी ढाँचा मिला। धारा 370 हटाना और तीन तलाक समाप्त करना असंभव से लगते काम थे, जिन्हें वर्तमान सरकार ने किया।
नेहरू सरकार को एक जर्जर राष्ट्र मिला था, जबकि मोदी सरकार को अपेक्षाकृत स्थिर बुनियादी ढाँचा मिला। धारा 370 हटाना और तीन तलाक समाप्त करना असंभव से लगते काम थे, जिन्हें वर्तमान सरकार ने किया।
By Amit Baijnath Garg
राजस्थान में भीषण गर्मी के मौसम में आशा वर्कर्स को गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों तक लाने और उनकी जांच व टीकाकरण कराने में अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को उन्हें हीट वेव से बचाव के लिए अधिक समझाना पड़ रहा है। इसके साथ ही उनके परिवार की भी काउंसलिंग करनी पड़ रही है।
राजस्थान में भीषण गर्मी के मौसम में आशा वर्कर्स को गर्भवती महिलाओं को अस्पतालों तक लाने और उनकी जांच व टीकाकरण कराने में अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं डॉक्टरों और नर्सिंग स्टाफ को उन्हें हीट वेव से बचाव के लिए अधिक समझाना पड़ रहा है। इसके साथ ही उनके परिवार की भी काउंसलिंग करनी पड़ रही है।
By Akankhya Rout
उत्तर प्रदेश और राजस्थान के घुमंतू समुदायों जैसे सपेरा, मदारी और नट आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और सरकारी योजनाओं का लाभ इन तक नहीं पहुँच पा रहा है। सरकारी प्रयासों के बावजूद, इनकी समस्याएँ जस की तस बनी हुई हैं।
उत्तर प्रदेश और राजस्थान के घुमंतू समुदायों जैसे सपेरा, मदारी और नट आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास और सरकारी योजनाओं का लाभ इन तक नहीं पहुँच पा रहा है। सरकारी प्रयासों के बावजूद, इनकी समस्याएँ जस की तस बनी हुई हैं।
By Dr SB Misra
भ्रष्टाचार भारत में हर स्तर पर फैला हुआ है—नेताओं से लेकर आम नागरिक तक। Gaon Postcard में पढ़िए कैसे यह समस्या हमारी अर्थव्यवस्था, न्याय प्रणाली और सामाजिक ढांचे को प्रभावित कर रही है।
भ्रष्टाचार भारत में हर स्तर पर फैला हुआ है—नेताओं से लेकर आम नागरिक तक। Gaon Postcard में पढ़िए कैसे यह समस्या हमारी अर्थव्यवस्था, न्याय प्रणाली और सामाजिक ढांचे को प्रभावित कर रही है।
By Seema Javed
जलवायु परिवर्तन के चलते पश्चिमी विक्षोभों की दिशा और आवृत्ति में आए बदलाव ने हिमालयी क्षेत्रों में मौसम की चरम घटनाओं—जैसे भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन—की संभावना को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ते वैश्विक तापमान और अरब सागर से आने वाली नमी इन विक्षोभों को अधिक तीव्र बना रही है, जिससे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति न केवल पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत है, बल्कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन और आजीविका पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है।
जलवायु परिवर्तन के चलते पश्चिमी विक्षोभों की दिशा और आवृत्ति में आए बदलाव ने हिमालयी क्षेत्रों में मौसम की चरम घटनाओं—जैसे भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन—की संभावना को बढ़ा दिया है। विशेषज्ञों के अनुसार, बढ़ते वैश्विक तापमान और अरब सागर से आने वाली नमी इन विक्षोभों को अधिक तीव्र बना रही है, जिससे जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में आपदाओं का खतरा बढ़ गया है। यह स्थिति न केवल पर्यावरणीय असंतुलन का संकेत है, बल्कि इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों के जीवन और आजीविका पर भी गंभीर प्रभाव डाल रही है।
By Dr SB Misra
जब जिन्ना द्वि-राष्ट्रवाद और पाकिस्तान की वकालत कर रहे थे, तब भी गांधी और नेहरू ने इसका खुलकर विरोध नहीं किया। कांग्रेस ने एक भी प्रस्ताव अलगाववाद के खिलाफ पास नहीं किया। अंततः जब गांधी जी ने जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा, तब बहुत देर हो चुकी थी।
जब जिन्ना द्वि-राष्ट्रवाद और पाकिस्तान की वकालत कर रहे थे, तब भी गांधी और नेहरू ने इसका खुलकर विरोध नहीं किया। कांग्रेस ने एक भी प्रस्ताव अलगाववाद के खिलाफ पास नहीं किया। अंततः जब गांधी जी ने जिन्ना को प्रधानमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा, तब बहुत देर हो चुकी थी।
By Dr SB Misra
भारत के पिछड़े और दलित समाज का उत्थान करना ही गांधी जी की चिंता का विषय था, लेकिन नेहरू जी तो किसी भी प्रकार के आरक्षण के घोर विरोधी थे। यह अलग विषय है कि आरक्षण के बावजूद इन वर्गों का विकास 80 साल में संतोषजनक ढंग से नहीं हो सका जब की डॉक्टर आंबेडकर को भरोसा था कि दलित समाज 10 साल में सब के बराबर आ जायेगा।
भारत के पिछड़े और दलित समाज का उत्थान करना ही गांधी जी की चिंता का विषय था, लेकिन नेहरू जी तो किसी भी प्रकार के आरक्षण के घोर विरोधी थे। यह अलग विषय है कि आरक्षण के बावजूद इन वर्गों का विकास 80 साल में संतोषजनक ढंग से नहीं हो सका जब की डॉक्टर आंबेडकर को भरोसा था कि दलित समाज 10 साल में सब के बराबर आ जायेगा।
By Gaon Connection
सोशल मीडिया पर हर-रोज़ चलने वाले शोर-शराबे के बीच भिंडी ने तो सब्ज़ी प्रेमियों को एकजुट कर दिया, अब आप भी बता दीजिए क्या भिंडी को राष्ट्रीय सब्ज़ी घोषित कर देना चाहिए?
सोशल मीडिया पर हर-रोज़ चलने वाले शोर-शराबे के बीच भिंडी ने तो सब्ज़ी प्रेमियों को एकजुट कर दिया, अब आप भी बता दीजिए क्या भिंडी को राष्ट्रीय सब्ज़ी घोषित कर देना चाहिए?
By Akankhya Rout
जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, स्कूल जाते हैं, उसी उम्र का बच्चा अगर सहारे के लिए माँ-बाप की ओर देखे तो उससे बड़ा दुख नहीं, ओडिशा में ऐसे सैकड़ों माँ-बाप अपने बच्चे की इस बीमारी का इलाज कराने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।
जिस उम्र में बच्चे खेलते-कूदते हैं, स्कूल जाते हैं, उसी उम्र का बच्चा अगर सहारे के लिए माँ-बाप की ओर देखे तो उससे बड़ा दुख नहीं, ओडिशा में ऐसे सैकड़ों माँ-बाप अपने बच्चे की इस बीमारी का इलाज कराने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं।