मानसून में आम, अमरूद और नींबू का बाग लगाने की सही विधि और पूरी देखभाल गाइड
मानसून में आम, अमरूद और नींबू का बाग लगाने की सही विधि और पूरी देखभाल गाइड

By Gaon Connection

मानसून में आम, अमरूद और नींबू का बाग लगाने की सही तकनीक जानें। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ जयप्रकाश सिंह दे रहे हैं किस्म चयन, गड्ढा तैयारी, खाद, पानी और रोग नियंत्रण की पूरी जानकारी।

मानसून में आम, अमरूद और नींबू का बाग लगाने की सही तकनीक जानें। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ जयप्रकाश सिंह दे रहे हैं किस्म चयन, गड्ढा तैयारी, खाद, पानी और रोग नियंत्रण की पूरी जानकारी।

ओडिशा के इस समुद्र तट से क्यों रूठ गए ओलिव रिडले कछुए?
ओडिशा के इस समुद्र तट से क्यों रूठ गए ओलिव रिडले कछुए?

By Akankhya Rout

जहाँ कभी हज़ारों ओलिव रिडले कछुए आते थे, आज वहाँ गिनती के कछुए आ रहे हैं। ये पहली बार नहीं है, पिछले एक दशक में इनकी संख्या घटती जा रही है, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?

जहाँ कभी हज़ारों ओलिव रिडले कछुए आते थे, आज वहाँ गिनती के कछुए आ रहे हैं। ये पहली बार नहीं है, पिछले एक दशक में इनकी संख्या घटती जा रही है, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?

ग्रामीण शिक्षा में सुधार की ज़रूरत: कैसे बदलेगी गाँवों की तस्वीर?
ग्रामीण शिक्षा में सुधार की ज़रूरत: कैसे बदलेगी गाँवों की तस्वीर?

By Dr SB Misra

पुराने समय में गाँव अपने में पूर्ण होते थे और लगभग प्रत्येक गाँव में या पास पड़ोस में कारपेन्टर, लोहार, जुलाहे रहते थे, जो स्थानीय आवश्यकता के लिए चीजों की आपूर्ति करते थे। अब यह सब शहर को चले गए, भले ही वहाँ जीवन सुखी नहीं है खान-पान उतना अच्छा तो नहीं है, लेकिन दूसरी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने शहर जाने का फैसला किया। कष्ट की बात यह है कि यह व्यावसायिक समूह जातियों के रूप में आ गए और उनमें ऊंच-नीच की भावना पैदा कर दी गई, यही से हमारे समाज का विघटन और विभाजन शुरू हुआ होगा।

पुराने समय में गाँव अपने में पूर्ण होते थे और लगभग प्रत्येक गाँव में या पास पड़ोस में कारपेन्टर, लोहार, जुलाहे रहते थे, जो स्थानीय आवश्यकता के लिए चीजों की आपूर्ति करते थे। अब यह सब शहर को चले गए, भले ही वहाँ जीवन सुखी नहीं है खान-पान उतना अच्छा तो नहीं है, लेकिन दूसरी आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उन्होंने शहर जाने का फैसला किया। कष्ट की बात यह है कि यह व्यावसायिक समूह जातियों के रूप में आ गए और उनमें ऊंच-नीच की भावना पैदा कर दी गई, यही से हमारे समाज का विघटन और विभाजन शुरू हुआ होगा।

पढ़िए ‘आप’ ने राजौरी में अपनी हार का जिम्मेदार किसको ठहराया
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By गाँव कनेक्शन

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