गाँव के स्कूल से विश्व मंच तक: डॉ. एसबी मिश्रा को मिला अमेजिंग इंडियन अवार्ड 2025
गाँव के स्कूल से विश्व मंच तक: डॉ. एसबी मिश्रा को मिला अमेजिंग इंडियन अवार्ड 2025

By Gaon Connection

पृथ्वी के सबसे प्राचीन बहुकोशिकीय जीवन की खोज करने वाले और ग्रामीण भारत में शिक्षा की अलख जगाने वाले वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद डॉ. एसबी मिश्रा को टाइम्स नाऊ अमेजिंग इंडियन अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया।

पृथ्वी के सबसे प्राचीन बहुकोशिकीय जीवन की खोज करने वाले और ग्रामीण भारत में शिक्षा की अलख जगाने वाले वैज्ञानिक एवं शिक्षाविद डॉ. एसबी मिश्रा को टाइम्स नाऊ अमेजिंग इंडियन अवार्ड 2025 से सम्मानित किया गया।

अब खेती होगी संतुलित: यूरिया के बजाय जैविक और नैनो उर्वरकों पर ज़ोर
अब खेती होगी संतुलित: यूरिया के बजाय जैविक और नैनो उर्वरकों पर ज़ोर

By Gaon Connection

भारत सरकार ने अब खेती में केवल अधिक उत्पादन नहीं, बल्कि मिट्टी की दीर्घकालिक उर्वरता और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए यूरिया जैसे रासायनिक उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग पर ज़ोर देना शुरू किया है।

भारत सरकार ने अब खेती में केवल अधिक उत्पादन नहीं, बल्कि मिट्टी की दीर्घकालिक उर्वरता और पर्यावरणीय संतुलन को ध्यान में रखते हुए यूरिया जैसे रासायनिक उर्वरकों के विवेकपूर्ण उपयोग पर ज़ोर देना शुरू किया है।

उत्तराखंड की धराली त्रासदी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, एक हकीकत है
उत्तराखंड की धराली त्रासदी ने बताया कि जलवायु परिवर्तन अब सिर्फ एक रिपोर्ट नहीं, एक हकीकत है

By Seema Javed

उत्तराखंड की धराली में हालिया बादल फटने की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हिमालय अब चेतावनी नहीं दे रहा, बल्कि सीधा जवाब दे रहा है। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और नीति स्तर पर लापरवाही ने इस पहाड़ी राज्य को बार-बार त्रासदी के मुहाने पर ला खड़ा किया है।

उत्तराखंड की धराली में हालिया बादल फटने की घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि हिमालय अब चेतावनी नहीं दे रहा, बल्कि सीधा जवाब दे रहा है। जलवायु परिवर्तन, अनियंत्रित विकास और नीति स्तर पर लापरवाही ने इस पहाड़ी राज्य को बार-बार त्रासदी के मुहाने पर ला खड़ा किया है।

रेल लाइन नहीं, उम्मीद की डगर: 6 राज्यों के गाँवों को जोड़ेगा मल्टीट्रैकिंग नेटवर्क
रेल लाइन नहीं, उम्मीद की डगर: 6 राज्यों के गाँवों को जोड़ेगा मल्टीट्रैकिंग नेटवर्क

By Gaon Connection

13 जिलों के 43 लाख लोग जल्द ही तेज़ और सुगम रेल नेटवर्क से जुड़ेंगे। केंद्र सरकार की चार मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं से माल ढुलाई, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा।

13 जिलों के 43 लाख लोग जल्द ही तेज़ और सुगम रेल नेटवर्क से जुड़ेंगे। केंद्र सरकार की चार मल्टीट्रैकिंग परियोजनाओं से माल ढुलाई, रोजगार और पर्यावरण संरक्षण को मिलेगा बढ़ावा।

इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग को क्लीन एनर्जी से जोड़ने का अभी है सही वक्त: रिपोर्ट
इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग को क्लीन एनर्जी से जोड़ने का अभी है सही वक्त: रिपोर्ट

By Seema Javed

ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि भारत 2032 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग जरूरतें सिर्फ 3% नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी कर सकता है। यानी EV अपनाने से बिजली ग्रिड पर बोझ नहीं पड़ेगा, अगर स्मार्ट नीति और चार्जिंग समय का सही समन्वय हो। रिपोर्ट दिन के समय चार्जिंग को बढ़ावा देने, Time-of-Day टैरिफ और डेटा-आधारित नीतियों को अपनाने की सिफारिश करती है।

ताज़ा रिपोर्ट बताती है कि भारत 2032 तक इलेक्ट्रिक वाहनों की चार्जिंग जरूरतें सिर्फ 3% नवीकरणीय ऊर्जा से पूरी कर सकता है। यानी EV अपनाने से बिजली ग्रिड पर बोझ नहीं पड़ेगा, अगर स्मार्ट नीति और चार्जिंग समय का सही समन्वय हो। रिपोर्ट दिन के समय चार्जिंग को बढ़ावा देने, Time-of-Day टैरिफ और डेटा-आधारित नीतियों को अपनाने की सिफारिश करती है।

मनरेगा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: तमिलनाडु और राजस्थान सबसे आगे, कई राज्य अब भी पीछे
मनरेगा में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी: तमिलनाडु और राजस्थान सबसे आगे, कई राज्य अब भी पीछे

By Gaon Connection

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत महिलाओं की भागीदारी अब 58.1% तक पहुँच चुकी है। तमिलनाडु, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में लाखों महिलाओं को इस योजना से रोज़गार मिल रहा है, जबकि कुछ राज्यों में स्थिति अब भी चिंताजनक है।

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के अंतर्गत महिलाओं की भागीदारी अब 58.1% तक पहुँच चुकी है। तमिलनाडु, राजस्थान और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में लाखों महिलाओं को इस योजना से रोज़गार मिल रहा है, जबकि कुछ राज्यों में स्थिति अब भी चिंताजनक है।

2030 से पाँच साल पहले ही भारत ने हासिल किया 50% अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य
2030 से पाँच साल पहले ही भारत ने हासिल किया 50% अक्षय ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य

By Seema Javed

भारत ने 2030 से पांच साल पहले ही अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% अक्षय स्रोतों से हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और नीति-निर्माण की सफलता को दर्शाती है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों पर बढ़ते निवेश, योजनाओं में जनभागीदारी और तेज़ी से बदलते ऊर्जा परिदृश्य ने भारत को वैश्विक मंच पर एक अग्रणी भूमिका में ला खड़ा किया है।

भारत ने 2030 से पांच साल पहले ही अपनी कुल ऊर्जा क्षमता का 50% अक्षय स्रोतों से हासिल कर लिया है। यह उपलब्धि स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में उसकी मजबूत प्रतिबद्धता और नीति-निर्माण की सफलता को दर्शाती है। सौर और पवन ऊर्जा जैसे स्रोतों पर बढ़ते निवेश, योजनाओं में जनभागीदारी और तेज़ी से बदलते ऊर्जा परिदृश्य ने भारत को वैश्विक मंच पर एक अग्रणी भूमिका में ला खड़ा किया है।

आपके घर की एसी से बढ़ सकता है बिजली संकट
आपके घर की एसी से बढ़ सकता है बिजली संकट

By Seema Javed

पिछले कुछ सालों में शहरों के साथ ही गाँव में भी एयर कंडीशनर यानी एसी का चलन तेजी से बढ़ा है; हीट वेव और बढ़ते तापमान की वजह से इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे बिजली की खपत भी बेतहाशा बढ़ रही है, अगर ऐसा ही रहा तो बिजली संकट आ सकता है।

पिछले कुछ सालों में शहरों के साथ ही गाँव में भी एयर कंडीशनर यानी एसी का चलन तेजी से बढ़ा है; हीट वेव और बढ़ते तापमान की वजह से इनकी मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे बिजली की खपत भी बेतहाशा बढ़ रही है, अगर ऐसा ही रहा तो बिजली संकट आ सकता है।

गर्मियों में बढ़ते तापमान से देश में बढ़ गई 41% ज़्यादा बिजली की माँग
गर्मियों में बढ़ते तापमान से देश में बढ़ गई 41% ज़्यादा बिजली की माँग

By Gaon Connection

वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में हीटवेव की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ी है, और इसका सीधा संबंध मानव-जनित जलवायु परिवर्तन से है।

वैज्ञानिकों का मानना है कि पिछले कुछ वर्षों में भारत में हीटवेव की तीव्रता और आवृत्ति बढ़ी है, और इसका सीधा संबंध मानव-जनित जलवायु परिवर्तन से है।

ओडिशा के इस समुद्र तट से क्यों रूठ गए ओलिव रिडले कछुए?
ओडिशा के इस समुद्र तट से क्यों रूठ गए ओलिव रिडले कछुए?

By Akankhya Rout

जहाँ कभी हज़ारों ओलिव रिडले कछुए आते थे, आज वहाँ गिनती के कछुए आ रहे हैं। ये पहली बार नहीं है, पिछले एक दशक में इनकी संख्या घटती जा रही है, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?

जहाँ कभी हज़ारों ओलिव रिडले कछुए आते थे, आज वहाँ गिनती के कछुए आ रहे हैं। ये पहली बार नहीं है, पिछले एक दशक में इनकी संख्या घटती जा रही है, आखिर क्या है इसके पीछे की वजह?

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